शांतिनिकेतन से मणिपुरी तथा केरल कलामंडल (केरल) से कथकली नृत्य की शिक्षा लेकर आए हरि उप्पल ने बिहार में शास्त्रीय नृत्य की प्रायः पहली ज्योति जलाई। उन्होंने पटने में नृत्य प्रशिक्षण के लिए देशविख्यात संस्थान भारतीय नृत्यकला मंदिर की स्थापना की। हरि उप्पल ने बिहार में नृत्य का जो विस्तृत प्रांगण तैयार किया, उसमें नलिन गांगुली, नगेन्द्र मोहिनी और मधुकर आनन्द जैसे बड़े नर्तक इस राज्य को उपलब्ध हुए। नलिन गांगुली ने कथक नृत्य में अपनी विशेष पहचान बनाई।