'अष्टावक्र' शीर्षक प्रस्तुत पाठ का सबसे मार्मिक प्रसंग वह है जब अष्टावक्र की माँ मर गई। शाम के समय अष्टावक्र अपने सामानसहित कुएँ की जगत पर बैठा था। उसका वक़ मुख किसी अज्ञात गंभीरता से और भी वक्र हो उठा था। उसे इसका बोध ही नहीं था कि उसकी माँ मर गई है और वह लौटेगी ही नहीं। अष्टावक्र बार-बार कह रहा था, 'माँ आएगी। चाट बनाएगी।'