सुरक्षा प्रकोष्ठ या घेरे की नीति से वॉरेन हेस्टिंग्स तथा वेलेजली संबंधित थे।
वॉरेन हेस्टिंग्स ने मैसूर और मराठों के साथ युद्ध, अन्य भारतीय रियासतों के साथ बराबरी की पदवी प्राप्त करने की भावना से किया। इस समय कंपनी ने अपने राज्य के चारों ओर मध्य राज्य (Buffer State) बनाने का प्रयत्न किया।
इसका उद्देश्य केवल अपने राज्य की रक्षा करना था अथवा हम यह भी कह सकते हैं कि अपने पड़ोसी राज्यों की सीमाओं की रक्षा करो ताकि अपनी सीमाएं सुरक्षित रहें।
उस समय भय मुख्यतः अफगानों और मराठों से था। इसलिए कंपनी ने अवध की रक्षा व्यवस्था के कार्य को इस शर्त पर संभाला कि अवध का नवाब उस व्यय का बोझ उठाए और इस प्रकार अवध की रक्षा ही बंगाल की रक्षा थी।
वेलेजली के आने से कंपनी के भारतीय रियासतों के साथ संबंधों में परिवर्तन आया। वेलेजली का उद्देश्य भारतीय रियासतों को अपनी रक्षार्थ कंपनी पर निर्भर करने पर बाध्य करना था। उसने भारतीय रियासतों को अंग्रेजी राजनीतिक शक्ति के और सैनिक रक्षा के घेरे में लाने का प्रयत्न किया।
रियासतों के प्रति प्रमुख ब्रिटिश नीतियां निम्नलिखित हैं ।
1, कंपनी का भारतीय रियासतों से समानता के लिए संघर्ष (1740-1765 )
2. 'सुरक्षा प्रकोष्ठ' नीति या घेरे की नीति (1765-1813 ई.)
3. अधीनस्थ पार्थक्य की नीति (1813-1857 ई.)
4. अधीनस्थ संघ की नीति (1858-1935 ई.)
5. बराबर के संघ की नीति (1935-1947 ई.)