उग्रवाद के चार प्रमुख स्तंभों (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चन्द्र पाल तथा अरबिंद घोष) में बाल गंगाधर (Bal Gangadhar Tilak) तिलक इस विचारधारा के अग्रदूत थे।
उन्होंने कांग्रेस की अनुनय - विनय नीति की आलोचना की। तिलक ने कांग्रेस के बारे में कहा था कि यदि हम वर्ष में एक बार मेंढक की तरह टर्राएं तो हमें कुछ नहीं मिलेगा।
दादाभाई नौरोजी तथा गोपालकृष्ण गोखले कांग्रेस के उदारवादी दल के नेता थे, जबकि एम.जी . रानाडे समाज सुधारक थे।