ग्रहों की गति के नियमों का प्रतिपादन जोहान्स केप्लर ने किया।
ग्रहों के गति सम्बन्धी केप्लर ने तीन नियम दिये थे —
(i) प्रथम नियम: सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में परिक्रमण करते हैं तथा सूर्य सभी ग्रहों की कक्षाओं के केन्द्र पर होता है।
(ii) दूसरा नियम (क्षेत्रफल का नियम) : किसी भी ग्रह को सूर्य से मिलानेवाली रेखा समान समयान्तरालों में समान क्षेत्रफल तय करती है अर्थात् ग्रह की क्षेत्रीय चाल नियत रहती है।
क्षेत्रीय वेग = dA/dt = 1/2rv
(ii) तृतीय नियम (परिक्रमण काल का नियम) : किसी भी ग्रह का सूर्य के परितः परिक्रमण काल का वर्ग उसकी दीर्घवृताकार कक्षा के अर्द्ध-वृत्त अक्ष के तृतीय घात का समानुपाती होता है।
T2 ∝ a3
या, T2 ∝ {(r1 + r2)/2}3
केप्लर के द्वितीय ग्रह गति नियम के आधार पर यह साबित किया गया है कि कुल कोणीय संवेग संरक्षित करता है।