वर्ष 2009 में दिल्ली उच्च न्यायालय(Delhi High Court) ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को सहमतिपूर्वक स्थापित किए जाने वाले समलैंगिक संबंधों के संदर्भ में असंवैधानिक(Unconstitutional) घोषित कर दिया।
धारा 377(Section 377) द्वारा प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध प्रकार की यौन गतिविधियों को अवैध घोषित किया गया है। यद्यपि 11 दिसंबर, 2013 को दिए गए अपने निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के इस फैसले को उलट दिया।
उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार भारतीय दंड संहिता की धारा 377 में संशोधन करने अथवा उसे समाप्त करने का काम संसद का है न कि न्यायपालिका का।
अतः उपरोक्त सभी विकल्पों में से विकल्प (b)चंडीगढ़ सही होगा।