पर्चिनकारी अथवा पिट्रा ड्यूरा (Pitra Dura) का सम्बन्ध दीवारों में अर्ध-कीमती पत्थर जड़कर फूलों की नक्काशी करने से है। यह एक ऐतिहासिक कला है। इसमें उत्कृष्ट पद्धति से कटे, जुड़े, तराशे व चमकाए हुए रंगीन पत्थरों के टुकड़ों से दीवारों में चित्रकारी की जाती है। यह एक सजावटी कला है। इसमें रंगीन पत्थर, जैसे संगमरमर एवं बहुमूल्य पत्थरों का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रथम प्रयोग रोम में देखा गया था, जो 1600 ई. में मुगल दरबार में पहुँचा, जिसे ताजमहल में देखा जा सकता है। मुगल इसे पर्चिनकारी या पच्चीकारी कहते थे, जिसका अर्थ होता है - जड़ना।