ऋणात्मक भुगतान संतुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है?
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ऋणात्मक भुगतान संतुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है? Or, Rinatmak Bhugtan Santulan Ka Hona Kisi Desh Ke Liye Kyon Hanikarak Hota Hai?

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आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों में अन्तर को व्यापार संतुलन (Trade balance) कहते हैं। यह एक देश के द्वारा अन्य देशों को आयात एवं निर्यात की गई वस्तुओं एवं सेवाओं की मात्रा का प्रलेखन करता है।

यदि आयात का मूल्य देश के निर्यात मूल्य की अपेक्षा अधिक है, तो देश का व्यापार संतुलन ऋणात्मक अथवा प्रतिकूल है।

इसके विपरीत स्थिति में यह धनात्मक अथवा अनुकूल होता है। किसी देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापार संतुलन अथवा भुगतान संतुलन का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

ऋणात्मक संतुलन का अर्थ यह है कि देश वस्तुओं के क्रय पर उससे अधिक व्यय करता है जितना कि अपने सामानों के विक्रय से अर्जित करता है। इससे उसके वित्तीय भंडार समाप्त होने लगेंगे।

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