के० टी० शाह (K. T. Shah) ने भाग–IV पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि "यह बैंक में देय उस चेक की तरह है जिसका भुगतान बैंक अपनी सुविधानुसार करता है।"
के.टी. शाह ने अनुच्छेद 36–51 के बीच भाग-IV के अधीन जो निर्देशन दिया उसे लागू करने का प्रावधान न्यायालय में नहीं है, इस कारण कहा है।
- अनुच्छेद-37 के अधीन वर्णित है कि भाग-IV के विरुद्ध वाद नहीं लाया जा सकता है।
- भारतीय संविधान के भाग-IV को लागू करना राज्य के इच्छाशक्ति और संसाधनों के ऊपरी निर्भर करता है।
- राज्य के नीति-निर्देशक तत्व के द्वारा सामाजिक-आर्थिक लोकतंत्र का निर्माण करना लक्ष्य है।
- भारत में लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा भाग-IV में वर्णित है।
- अनुच्छेद-40 को गाँधीवादी दर्शन माना जाता है।