उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द के भेदों को लिखें। Utpati Ki Drishti Se Shabd Ke Bhedon Ko Likhen
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उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द के भेदों को लिखें। Utpati Ki Drishti Se Shabd Ke Bhedon Ko Likhen.

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उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द के भेद। Utpatti Ki Drishti Se Shabd Ke Bhed

शब्दों अथवा वर्णों के मेल से नये शब्द बनाने की प्रक्रिया को व्युत्पत्ति या बनावट कहते हैं।

कई वर्णों को मिलाने से शब्द बनता है, और शब्द के खण्ड को शब्दांश कहते हैं।

जैसे — 'राम' में शब्द के दो खण्ड हैं - 'रा' और 'म'।

इन अलग-अलग शब्दांशों का कोई अर्थ नहीं है। इसके विपरीत, कुछ ऐसे भी शब्द हैं, जिनके दोनों खण्ड सार्थक होते हैं।

जैसे — विद्यालय । इस शब्द के दो अंश हैं : 'विद्या' और 'आलय'। दोनों के अलग-अलग अर्थ हैं।

इस प्रकार, व्युत्पत्ति अथवा बनावट के विचार से शब्द के तीन प्रकार हैं —

  1. रूढ़
  2. यौगिक और
  3. योगरूढ़

रूढ़ शब्द : जिन शब्दों के खण्ड सार्थक न हों, उन्हें रूढ़ कहते हैं।

जैसे — नाक, कान, पीला, झट, पर। यहाँ प्रत्येक शब्द के खण्ड - जैसे, 'ना' और 'क', 'का' और 'न'- अर्थहीन हैं।

यौगिक शब्द : ऐसे शब्द, जो दो शब्दों के मेल से बनते हैं, और जिनके खण्ड सार्थक होते हैं, यौगिक कहलाते हैं।

दो या दो से अधिक रूढ़ शब्दों के योग से यौगिक शब्द बनते हैं।

जैसे — आग-बबूला, पीला-पन, दूध-वाला, छल-छन्द, घुड़ - सवार इत्यादि। यहाँ प्रत्येक शब्द के दो खण्ड हैं और दोनों खण्ड सार्थक हैं ।

योगरूढ़ शब्द : ऐसे शब्द, जो यौगिक तो होते हैं, पर अर्थ के विचार से अपने सामान्य अर्थ को छोड़ किसी परम्परा से विशेष अर्थ के परिचायक हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं।

मतलब यह कि यौगिक शब्द जब अपने सामान्य अर्थ को छोड़ विशेष अर्थ बताने लगे, तब वे 'योगरूढ़' कहलाते हैं।

जैसे — लम्बोदर, पंकज, चक्रपाणि, जलज इत्यादि।

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