हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं? Hamari Suvidha Ke Liye Pawano Tatha Jal Urja Mein Kis Prakar Ka Sudhar Kiye Gaye Hain?
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हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं? Hamari Suvidha Ke Liye Pawano Tatha Jal Urja Mein Kis Prakar Ka Sudhar Kiye Gaye Hain?

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(i) पवन ऊर्जा के उपयोग में सुधार–किसी एकल पवन चक्की का पारम्परिक निर्गत अर्थात् उत्पन्न विद्युत बहुत कम होती है जिसका व्यापारिक उपयोग सम्भव नहीं होता है।

अत: किसी विशाल क्षेत्र में बहुत सी पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं तथा इस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं। व्यापारिक स्तर पर विद्युत प्राप्त करने के लिए किसी ऊर्जा फार्म की सभी पवन चक्कियों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जाओं का परस्पर योग कर लिया जाता है।

(ii) जल ऊर्जा के पारम्परिक उपयोग में सुधार- नदियों से तेजी से बहते हुए जल की ऊर्जा परम्परागत रूप से जल चक्कियों को घुमाने में उपयोग की जाती है।

अब जल ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में इस प्रकार होता है - नदियों में बहते हुए पानी को एक ऊँचा बाँध बनाकर एकत्र कर लिया जाता है। बाँध के ऊपरी भाग से भण्डारित जल को लगातार नीचे गिराया जाता है। बाँध की तली के पास जल टर्बाइन लगे होते हैं। जब तेजी से बहता हुआ जल "जल टर्बाइन" के ब्लेडों पर गिरता है तो उसकी ऊर्जा से जल टर्बाइन तेजी से घूमने लगता है। 

जल टर्बाइन की शाफ्ट विद्युत जनित्र के आर्मेचर से जुड़ी होती है। इसलिए जल टर्बाइन के घूमने से विद्युत जनित्र का आर्मेचर भी तेजी से घूमता विद्युत उत्पादित होती है।

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