"निमोनिया" से मरने वाले को मुरब्वे नहीं मिला करते । Nimonia Se Marne Wale Ko Murabba Nahi Mila Karte.
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"निमोनिया" से मरने वाले को मुरब्वे नहीं मिला करते । Nimonia Se Marne Wale Ko Murabba Nahi Mila Karte.

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प्रस्तुत पंक्तियां " उसने कहा था " शीर्षक कहानी से ली गई हैं। इस कहानी के लेखक चेन्द्रधर शर्मा गुलेरी हैं। यह प्रसंग युद्ध के मैदान का है। खन्दक में काफी सर्दी पड़ रही है। उसी समय वजीरा सिंह लहना सिंह से कहता है अच्छा अब बोधा सिंह कैसा है। इसके उत्तर में लहना सिंह कहता है अच्छा है।

यह कथन बोधा सिंह के प्रति लहना सिंह के व्यवहार को प्रकट करता है। खुद लहना सिंह, बोधा सिंह के पहरों की जगह रात भर प्रहरी करता है। इस त्याग को देखकर लहना सिंह को वजीरा सलाह देता है कि कहीं तुम्हारी ही तबियत खराब न हो जाए।

जब तबीयत खराब हो जायेगी तो तुम क्या उसकी रक्षा कर पाओगे। तुम्हें मरने के लिए अपनी जमीं भी नसीब न होगी और जिस व्यक्ति को निमोनिया हो जाता है उसे कडवी औषधि ही दी जाती है, मुरब्वे नहीं।

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