मानव नेत्र के समंजन की प्रक्रिया को समझाएँ। Manav Netra Ki Samanjan Ki Prakriya Ko Samjhane.
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मानव नेत्र के समंजन की प्रक्रिया को समझाएँ। Manav Netra Ki Samanjan Ki Prakriya Ko Samjhane. Or, Explain the Process of Adjustment of Human Eye.

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किसी वस्तु को स्पष्ट रूप से देखने के लिए आवश्यक है कि उसका प्रतिबिंब दृष्टिपटल (रेटिना) पर बने। नेत्र-लेंस से दृष्टिपटल की दूरी स्थिर है।

अतः, प्रतिबिंबदूरी नियत है। लेंस के सूत्र से हम जानते हैं कि यदि वस्तु-दूरी में परिवर्तन होता है, तो लेंस की फोकस-दूरी में भी परिवर्तन होना चाहिए, क्योंकि प्रतिबिंब-दूरी नियत है।

नेत्र-लेंस, पक्ष्माभी पेशियों से घिरा रहता है। ये पक्ष्माभी पेशियाँ नेत्र-लेंस की वक्रता (अतः, फोकस-दूरी) में कुछ सीमा तक परिवर्तन कर सकती हैं।

जब कोई वस्तु नेत्र के समीप रखी जाती है, तो पक्ष्माभी पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं, नेत्र-लेंस मोटा हो जाता है तथा इसकी फोकस-दूरी घट जाती है।

इससे हम पास रखी वस्तु को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। जब हम दूर रखी वस्तुओं को देखने की चेष्टा करते हैं, तब पक्ष्माभी पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं।

नेत्र-लेंस पतला हो जाता है तथा इसकी फोकस-दूरी बढ़ जाती है। इससे हम दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख पाने में समर्थ होते हैं।

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