भाषा उत्पादन में कम-से-कम तीन प्रक्रियाएँ एक साथ होती हैं- पहली प्रक्रिया है-ध्वनि का उत्पादन, दूसरी है-आगे आने वाले वाक्यांशों की ध्वन्यात्मक तैयारी (अर्थात् इसमें शामिल आवाजों के बारे में सोचना), तीसरा, शेष वाक्य की रचना की योजना व मन में उसका प्रतिपादन इनमें से प्रत्येक प्रक्रिया जितनी दिखनी है, उससे अधिक जटिल है ।