इलाहाबाद की संधि के बाद रॉबर्ट क्लाइव ने मुर्शिदाबाद का उपदीवान मुहम्मद रजा खान (Mohammed Raza Khan) बनाया था ।
इलाहाबाद की दूसरी संधि (अगस्त, 1765) के भगोड़े सम्राट शाह आलम को अंग्रेजी संरक्षण में ले लिया गया तथा उसे इलाहाबाद में रखा गया।
शाहआलम ने अपने 12 अगस्त के फरमान द्वारा कंपनी को बंगाल, बिहार, उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी, जिसके बदले कंपनी सम्राट को 26 लाख रुपया देगी तथा निजाम के व्यय के लिए 53 लाख रुपया देगी।
इस समय कंपनी सीधे कर संग्रह करने का भार न तो लेना चाहती थी और न ही उसके पास ऐसी क्षमता थी।
कंपनी ने दीवानी कार्य के लिए दो उपदीवान, मुर्शिदाबाद (बंगाल) के लिए मुहम्मद रजा खां तथा बिहार के लिए राजा चितावर की नियुक्ति की मोहम्मद रजा खान अपना जिम के रूप में भी कार्य करते थे इस प्रकार समस्त दीवानी तथा उप नाजिम का कार्य भारतीयों द्वारा ही चलता था यद्यपि उत्तरदायित्व कंपनी का था ।