लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि (Subsidiary Alliance) को स्वीकार करने वाला पहला मराठा सरदार था - पेशवा बाजीराव ॥ (Peshwa Bajirao 2nd)
वेलेजली ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राजनैतिक परिधि में लाने के लिए सहायक संधि प्रणाली का प्रयोग किया।
उसने सहायक संधि का आविष्कार नहीं किया। इस प्रणाली का अस्तित्व तो पहले ही था तथा वह शनैः-शनैः विकसित हुई थी। सम्भवतः डूप्ले प्रथम यूरोपीय था, जिसने अपनी सेना किराए पर भारतीय राजाओं को दी थी।
अंग्रेजों ने भी यह प्रणाली अपनाई। प्रथम सहायक संधि 1765 ई. में अवध से की गई, जब कंपनी ने निश्चित धन के बदले उसकी सीमाओं की रक्षा करने का वचन दिया।
सहायक संधि स्वीकार करने वाले राज्य थे-
- हैदराबाद (1798 तथा 1800),
- मैसूर (1799),
- तंजौर (अक्टूबर, 1799),
- अवध (नवंबर, 1801),
- पेशवा (दिसंबर, 1802),
- बराड़ के भोंसले (दिसंबर, 1803),
- सिंधिया (फरवरी, 1804),
- जोधपुर,
- जयपुर,
- मच्छेड़ी,
- बूंदी तथा
- भरतपुर।
दौलतराव सिंधिया और जसवंत होल्कर दोनों पूना में अपने को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शित करना चाहते थे।
बाजीराव द्वितीय सिन्धिया का साथ दे रहा था। उसने 1801 ई. में दे जसवन्त के भाई की हत्या कर दी, परिणामस्वरूप जसवंत होलकर की सेना ने पूना पर आक्रमण कर पेशवा व सिन्धिया की संयुक्त सेना को परास्त कर दिया।
बाजीराव द्वितीय ने भाग कर बसीन में शरण ली तथा 31 दिसंबर, 1802 को अंग्रेजों से 'बसीन की संधि' की।
संधि के अनुसार, पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों की संरक्षकता स्वीकार कर ली। इस संधि को मराठों द्वारा अंग्रेजों के साथ की गई प्रथम सहायक संधि की संज्ञा दी गई।