1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने सिपाहियों का चयन गोरखा, सिख एवं पंजाब के उत्तर प्रांत से किया।
1857 के विद्रोह को भड़काने में उत्तर प्रदेश एवं बिहार के सैनिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसलिए ब्रिटिश सरकार इन्हें संदेह की दृष्टि से देखती थी। विद्रोह के समय बंगाल सेना के 60 प्रतिशत सैनिक अवध तथा उत्तरी-पश्चिम (यू.पी.) प्रांत के थे। विद्रोह के लिए भारतीय सेना उत्तरदायी थी।
इसी कारण 1 नवंबर, 1858 को महारानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र के अंतर्गत सेना का पुनर्गठन किया गया, जो विभाजन और प्रतिलोभन की नीति पर आधारित था।