स्वामी विवेकानन्द ने 1897 ई. में रामकृष्ण मिशन की स्थापना अपने गुरु की स्मृति में की थी। उन्होंने संन्यास धारण करके धार्मिक ग्रंथों का विशद अध्ययन किया। अपने गुरु की शिक्षाओं की व्याख्या को साकार करने का श्रेय स्वामी विवेकानन्द (1862-1902) को है। उन्होंने इस शिक्षा का साधारण भाषा में वर्णन किया। स्वामी विवेकानन्द ( Swami Vivekananda) इस नवीन हिंदू धर्म (Neo-Hinduism) के प्रचारक के रूप में उभरे।
1893 ई. में वे शिकागो गए जहां के उन्होंने ‘पार्लियामेंट ऑफ रिलिजन' में अपना सुप्रसिद्ध भाषण दिया। इस भाषण से उन्होंने पश्चिमी संसार के सामने पहली बार भारत की संस्कृति की महत्ता को प्रभावकारी तरीके से प्रस्तुत किया।
इसके पश्चात उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में भ्रमण किया और हिंदू धर्म का प्रचार किया। स्वामी जी ने हिंदू धर्म के इस पक्ष मुझे मत छेड़ो की बहुत भर्त्सना की। उनके अनुसार, हिंदू धर्म अब केवल खान-पान तक ही सीमित रह गया था।
वह निर्धनों के धनियों द्वारा शोषण पर धर्म की चुप्पी से बहुत अप्रसन्न । थे। उनके अनुसार, भूखे व्यक्ति से धर्म की बात करना ईश्वर तथा। मानवता का अपमान है।
विवेकानन्द ने कोई राजनीतिक संदेश नहीं दिया, परंतु फिर भी उन्होंने अपने लेखों तथा भाषणों द्वारा नई पीढ़ी में अपने भूतकाल में एक नवीन आत्मगौरव की भावना जगाई। वह एक पक्के देश भक्त थे।
सुभाष चन्द्र बोस ने उनके बारे में कहा था कि जहां तक बंगाल का संबंध है, हम विवेकानन्द को आधुनिक राष्ट्रीय आंदोलन का 'आध्यात्मिक पिता' कह सकते हैं । स्वामी विवेकानन्द ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की ।