बीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कांग्रेस में विभाजन की प्रक्रिया शुरू हुई-
(a) कांग्रेस आंदोलन की रणनीतियों पर
(b) कांग्रेस आंदोलन के उद्देश्यों पर
(c) कांग्रेस आंदोलन में लोगों की भागीदारी पर
बीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कांग्रेस के विभाजन का एक प्रमुख कारण नरमपंथियों का अपने रणनीतियों, उद्देश्यों और आम जनता को अपने साथ रख पाने में असफल होना था।
नरमपंथियों ने आम जनता के बीच काम नहीं किया। नरमपंथी राजनीति घटनाक्रमों के अनुरूप अपनी रणनीति में फेरबदल नहीं कर पाते थे।
वे यह महसूस न कर सके कि उनकी उपलब्धियों ने ही उनकी राजनीति को अव्यवहारिक बना दिया। नरमपंथी और गरमपंथी के सोच और अनुमान पारस्परिक मतभेद के दृष्टिकोण और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण दोनों से ही गलत थे।
नरमपंथी यह समझ नहीं पाए कि सरकार गरमपंथियों के भय के कारण ही उनसे बातचीत कर रही है और गरमपंथी यह नहीं समझ पाए कि उनके संघर्ष में नरमपंथी उनके लिए कवच का काम कर सकते हैं। फलस्वरूप वर्ष 1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हो गया।