अरबिन्द घोष (Arvind Ghosh) कांग्रेस के गरम दल के नेता थे।
वह गरम दल के चार स्तंभों ( लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चन्द्र पाल और अरबिन्द घोष) में से एक थे।
1893-94 ई. में अपने लेख में उन्होंने कहा था कि कांग्रेस श्रमिक वर्ग से दूर है, अराष्ट्रवादी है और पूर्णतया असफल रही है और इसकी शासकों को अप्रसन्न करने के भय से स्पष्ट न कहने की नीति को कायरता की संज्ञा दी।
इनके अनुसार, - कांग्रेस क्षय रोग से मरने वाली है।
वर्ष 1908 में पुलिस द्वारा मणिकतल्ला उद्यान में छापा मार कर जिन 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनमें अरबिन्द घोष भी थे।
अलीपुर षड्यंत्र करने के मामले में मुकदमा में चला। अरबिन्द घोष को एक वर्ष की सजा हुई, किंतु बाद में साक्ष्य के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया। कालांतर में वे आतंकवादी क्रिया-कलापों से अलग होकर संन्यासी बन गए तथा पांडिचेरी चले गए।