मुंडा आदिवासियों का विद्रोह 1899-1900 ई. के बीच हुआ। मुंडा क्रांति के नेता बिरसा मुंडा (Birsa Munda) थे ।
1895 ई. में बिरसा ने अपने आप को ‘भगवान का दूत' घोषित किया और हजारों मुंडाओं का नेता बन गया। उसने कहा कि “दिकुओं (गैर-आदिवासियों) से हमारी लड़ाई होगी और उनके खून से जमीन इस तरह लाल होगी जैसे लाल झंडा।"
1899 ई. में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर बिरसा ने मुंडा जाति का शासन स्थापित करने के लिए विद्रोह का एलान किया।