रंगून पर जापानी सेनाओं का अधिकार हो जाने पर अमेरिका के दबाव में ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य सर स्टैफोर्ड क्रिप्स को भारत भेजने का निर्णय लिया, ताकि भारतीय नेताओं के साथ बातचीत करके कोई समाधान ढूंढ़ा जा सके।
क्रिप्स भारत में तीन सप्ताह रहे (मार्च-अप्रैल, 1942) और भारतीय नेताओं के साथ विचार-विमर्श करके उन्होंने एक प्रारूप के रूप में अपने प्रस्तावों की घोषणा की।
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने इसे उत्तर तिथीय चेक (Post-Dated Cheque) की संज्ञा दी।
जबकि जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने उसमें यह जोड़ दिया कि ऐसा बैंक पर जो टूट रहा है (Post-dated cheque upon a crashing bank)।