संविधान के लिए बाध्य होना और इसके आदर्शों और प्रतिष्ठानों का सम्मान करना एक मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duty) है।
मौलिक कर्तव्य को 42वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में जोड़ा गया है। इसे सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर जोड़ा गया। यह रूस (Russia) के संविधान से लिया गया है।
वर्तमान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 है—
- प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र-ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करें।
- भारत की प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण रखें।
- देश की रक्षा करें।
- सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संबर्धन करें।
- हमारी संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझें तथा उसका परिरक्षण करे।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हो। ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है।
- व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रगति और उपलब्धि की नई ऊँचाई को छू ले।
- 6 से 14 वर्ष की उम्र के अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना।