1960 के बाद वैज्ञानिको ने यह पता लगाया कि पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है। ओजोन परत में छिद्र होने के कारण सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी चोट कर रही है। लेकिन अब यह नई खोज की गई है कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी तक पहले वाली मात्रा में नहीं पहुंच रही है। इसका प्रभाव विश्व के दक्षिणी गोलार्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्ध पर अधिक हुआ है। यही कारण है कि यूरोप व उत्तरी अमेरिका के देशों ने इस ओर विशेष ध्यान देना शुरू किया है।