देशी-विदेशी विद्वानों ने निम्न आधारों पर भारतीय संविधान की आलोचना की है—
1. यह सभा जनता द्वारा निर्वाचित नहीं थी। भारत के संविधान सभा जैसी महत्त्वपूर्ण संस्था के गठन के लिए जनता को प्रत्यक्ष रूप से भागीदार बनाना अति आवश्यक था, क्योंकि उसके द्वारा बनाये जाने वाले संविधान का मूल उद्देश्य भारतीय जनता की आकांक्षाओं को पूर्ण करना था।
2. संविधान सभा को एक दलीय संस्था कहकर भी आलोचना की जाती है। उस समय भारत में कांग्रेस का प्रभुत्व था इसलिए संविधान सभा पर कांग्रेस का प्रभाव था। अतः इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि यह प्रभुत्व संपन्न संस्था थी।