सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य की किरणें तिरछी रहती हैं। इन्हें वायुमण्डल का अधिकांश भाग तय करके पृथ्वी तक आना रहता है।
वायुमण्डलीय कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन होता है। प्रकीर्णन के सिद्धान्त के अनुसार प्रकीर्णन का परिमाण प्रकाश के तरंगदैर्ध्य के चतुर्थ घात (Fourth power) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
लाल प्रकाश का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होता है। अतः उसका प्रकीर्णन सबसे कम होता है। लाल प्रकाश पृथ्वी पर अधिक परिमाण में पहुँचने से सूर्य तथा उसके पास का क्षेत्र लाल प्रतीत होता है ।