ब्रह्मांड का प्रत्येक पिण्ड प्रत्येक अन्य पिण्ड को एक बल से आकर्षित करता है जो बल उन दोनों पिण्डों के द्रव्यमान के गुणनफल का सीधा समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
यह बल दोनों पिण्डों को मिलानेवाली रेखा की दिशा में लगता है।