प्राचीन भारत के लोग ज्योतिष, चिकित्सा और गणित शास्त्रों के ज्ञान में बहुत आगे बढ़े हुए थे। ज्योतिष - विज्ञान में प्रमुख प्राचार्य आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और भाष्कराचार्य थे। आर्यभट्ट ने ही पाँचवीं सदी में बताया है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर गोलाकार पथ पर न चलकर अंडाकार कक्ष (Elliptical orbit) पर चलते हैं। बुद्ध (Mercury), शुक्र ( Venus), पृथ्वी (Earth), मंगल (Mars), वृहस्पति (Jupitor ) और शनि (Saturn) के अंडाकार कक्षाओं के भ्रमण काल (Period of revolution) की गणना आर्यभट्ट कर लिये थे। आजकल की गणनाओं से उनकी गणना बहुत हद तक मिलती है। आर्याभट्ट ने ही बताया कि पृथ्वी गोल है और इसपर दिन-रात का होना इसकी दैनिक गति के कारण है।
भारतीय ज्योतिष के सर्वश्रेष्ठ आचार्य भाष्कराचार्य थे। बारहवीं शताब्दी में इन्होंने एक ग्रन्थ “सिद्धान्त शिरोमणि" लिखे जिसमें इन्होंने दूसरी बातों के साथ-साथ वायुमण्डल की ऊँचाई 81 किमी. निश्चित की। इनकी सबसे प्रमुख खोज गुरुत्वाकर्षण और गुरुत्व की खोज थी। अपने ग्रन्थ में इन्होंने इसको इस प्रकार समझाया है।
“ कोई वस्तु पृथ्वी पर इसलिए गिरती है कि पृथ्वी इसको अपने केन्द्र की ओर खींचती है। आकाशीय पिण्डों के बीच आकर्षण का बल कार्य करता है जिससे वे अपना-अपना कक्ष नहीं छोड़ते। बाद (सत्रहवीं शताब्दी) में इसी नियम को न्यूटन ने स्वतन्त्र रूप से बताये जो आजकल न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम से प्रसिद्ध है । "
केप्लर का नियम (Kepler's law) - सोलहवीं शताब्दी के लगभग डेनमार्क के ज्योतिर्विद (ज्योतिषशास्त्र का विद्वान) टायको ब्रहेय ने ग्रहों की स्थितियों के प्रेक्षण को दर्ज किया। उनके मरने के बाद उनका शिष्य केप्लर ने उन आँकड़ों से ग्रह - गति के तीन नियमों को लिखे जो नीचे जैसे हैं
(i) प्रथम नियम ( कक्ष का नियम ) - प्रत्येक ग्रह दीर्घवृत्तीय कक्ष पर चलता है जिसके एक फोकस पर सूर्य रहता है।
(ii) दूसरा नियम ( क्षेत्र का नियम )- सूर्य से किसी ग्रह को मिलानेवाली रेखा बराबर समय में बराबर क्षेत्र तय करती है।
(iii) तीसरा नियम ( परिभ्रमण काल का नियम )- ग्रह के परिभ्रमण - काल (Period of “revolution) का वर्ग सूर्य से ग्रह की औसत दूरी के घन के अनुक्रमानुपाती होता है। यदि ग्रह का परिभ्रमण-काल T तथा सूर्य से ग्रह की औसत दूरी हो, तो Tar 3
इस नियम से यह स्पष्ट है कि जो ग्रह सूर्य से जितनी अधिक दूर होता है, उसका परिभ्रमणकाल उतना ही अधिक होता है। ग्रह प्लेटो सूर्य से सबसे अधिक दूर तथा ग्रह बुद्ध सूर्य से सबसे कम दूर है। इसके परिभ्रमण काल क्रमश: 7.82 x 10° सेकेण्ड तथा 7.60 x 106 सेकेण्ड है।