मंदाकिनी (Galaxy) : मंदाकिनी अरबों तारों का एक विशाल निकाय है। तारे मंदाकिनियों के साथ बंधे रहते हैं इसके लिए चारों मौलिक बलों (गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत् चुम्बकीय बल (Electron magnetic Force) प्रबल या दृढ़ बल (Strong Force) और कमजोर बल (Weak force) में गुरुत्वाकर्षण बल जिम्मेदार होता है।
ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब मंदाकिनियाँ (10¹¹ मंदाकिनियाँ) हैं, और प्रत्येक मंदाकिनी में औसतन 100 अरब तारे (10¹¹ तारे) होते हैं। यानी ब्रह्मांड में तारों की कुल संख्या लगभग 10²² है। प्रत्येक मंदाकिनी में तारों के अतिरिक्त गैसें तथा धूल होती हैं। मंदाकिनी का 98% भाग तारों से तथा शेष 2% गैसों या धूल से बना है।
नोट: मंदाकिनी की विशालता के कारण इसे प्रायद्वीप ब्रह्मांड कहा जाता है।
मंदाकिनी का वर्गीकरण (Classification of Galaxy) : मंदाकिनियों को प्रायः उनके आकृति के आधार पर तीन वर्गों में बाँटा गया है—
- सर्पिल (Spiral)
- दीर्घवृत्तीय (Elliptical)
- अनियमित (Irregular)
अब तक की ज्ञात मंदाकिनियों में 80% सर्पिल, 17% दीर्घवृत्तीय व 3% अनियमित आकार वाली हैं।हमारी मंदाकिनी-दुग्धमेखला (Milkyway) या आकाशगंगा और इसकी सबसे नजदीकी मंदाकिनी देवयानी (Andromeda) सर्पिल आकार वाली मंदाकिनी है। सर्पिल मंदाकिनियाँ दूसरी मंदाकिनियों से प्रायः काफी बड़ी होती हैं।
दुग्धमेखला (Our own galaxy The Milkyway): हमारा सौरमंडल दुग्धमेखला (Milkyway) या आकाशगंगा नामक मंदाकिनी का सदस्य है। इसका व्यास लगभग 10⁵ प्रकाश वर्ष और यह मंथर गति से चक्कर काट रही है। दुग्धमेखला मंदाकिनी, अपने केन्द्र के चारों ओर धीरे-धीरे घूमती है और तारे इसके केन्द्र के चारों ओर धीरे-धीरे घूमते हैं। सूर्य भी ( सौरमंडल सहित ) इसके केन्द्र के चारों ओर घूर्णन करता है। इसे एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 250 मिलियन (25 करोड़) वर्ष लगता है।
पृथ्वी पर लोग, दुग्धमेखला मंदाकिनी का अभिमुख दृश्य (end-on view or side view) देख पाते हैं, क्योंकि पृथ्वी स्वयं इस मंदाकिनी का हिस्सा है।हमारी मंदाकिनी में तारे चपटी चक्रिकानुमा संरचना में अन्तर्विष्ट होते हैं जो अंतरिक्ष के अन्दर 10⁵ प्रकाश वर्ष तक फैली होती है।
तारों की चक्रिका केन्द्र पर काफी मोटी होती है जो मंदाकिनी के केन्द्र पर तारों के अपेक्षाकृत उच्च सांद्रण को दर्शाता है।
हमारा सूर्य और उसके ग्रह, मंदाकिनी के केन्द्रीय भाग से लगभग 3 x 10⁴ प्रकाश वर्ष की दूरी पर इस चक्रीयनुमा संरचना के एक पार्श्व पर स्थित है।
अतः सूर्य दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र से काफी दूर यदि आकाश स्वच्छ है, तो दुग्धमेखला मंदाकिनी अंधेरी रात में उत्तर से दक्षिण आकाश में हल्के सफेद तारों की चौड़ी पट्टी के रूप में प्रतीत होती है, जो करोड़ों टिमटिमाते तारों से मिलकर बनी है। अंधेरी रात में पृथ्वी से देखने पर यह प्रकाश की बहती हुई नदी की तरह प्रतीत होती है, यह आकाश गंगा कहलाती है।