विभिन्नताएँ प्राय: जीवों की विपरीत पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी जीवित रहने में सहायक होती हैं। पर्यावरण में होने वाले अचानक और खतरनाक परिवर्तन किसी पूरी आबादी को ही मिटा सकते हैं।
परन्तु ऐसी परिस्थिति में भी वे जीव जिन्दा बच जाते हैं जो अपनी पीढ़ी के अन्य जीवों से कुछ भिन्न होते हैं।
ये बचे हुए जीव प्रजनन द्वारा पुनः अपनी संख्या बढ़ा लेते हैं और उनकी स्पीशीज या जाति बच जाती है।
इस प्रकार विभिन्नताएँ स्पीशीज के कायम रहने और उनके अनुरक्षण के लिए लाभदायक होती हैं।
जहाँ व्यष्टि या एक जीव का प्रश्न है, उसके लिए विभिन्नता आवश्यक नहीं है क्योंकि अकेला जीव तभी सफलतापूर्वक जीवित रह सकता है जब वह अपने परिवेश से पूर्णत: अनुकूलित हो।
अकेले व्यष्टि के लिए अपनी पीढ़ी के अन्य जीवों से भिन्न होना लाभदायक नहीं भी हो सकता है।