जिन आयनिक ठोसों में धातु आधिक्य दोष के कारण ऋणायनिक रिक्तिका होती हैं, वे रंगीन होते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरण की सहायता से समझाइए ।
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जिन आयनिक ठोसों में धातु आधिक्य दोष के कारण ऋणायनिक रिक्तिका होती हैं, वे रंगीन होते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरण की सहायता से समझाइए ।

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ऋणायनिक रिक्तिका के कारण धातु आधिक्य दोष – क्षारकीय हैलाइड जैसे NaCl और KCl, इस प्रकार का दोष दर्शाते हैं।

 जब NaCl के क्रिस्टल को सोडियम वाष्प के वातावरण में गरम किया जाता है, तो सोडियम परमाणु क्रिस्टल की सतह पर जम जाते हैं | CIT आयन क्रिस्टल की सतह में विसरित हो जाते हैं और Na परमाणु के साथ जुड़कर NaCl देते हैं। ऐसा Na + आयन बनाने के लिये Na परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन के निकल जाने से होता है। निर्मुक्त इलेक्ट्रॉन विसरित होकर क्रिस्टल के ऋणायनिक स्थान को अध्यासित करते हैं। 

परिणामस्वरूप अब क्रिस्टल में सोडियम का आधिक्य होता है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों द्वारा भरी ऋणायनिक रिक्तिकाओं को F- केन्द्र कहते हैं। ये NaCI के क्रिस्टलों को पीला रंग प्रदान करते हैं।

 यह रंग इन इलेक्ट्रॉनों द्वारा क्रिस्टल पर पड़ने वाले प्रकाश से ऊर्जा अवशोषित करके उत्तेजित होने के परिणामस्वरूप दिखते हैं।

 इसी प्रकार लीथियम का आधिक्य क्रिस्टल LiC1 क्रिस्टल को गुलाबी बनाता है और पोटैशियम का आधिक्य KCI क्रिस्टल को बैंगनी बनाता है।

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