पृष्ठ ऊर्जा को बताएं|Prist Urja Ko Bataen.
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पृष्ठ ऊर्जा को बताएं|Prist Urja Ko Bataen.

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जब किसी पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ाया जाता है तो कुछ अणु द्रव के अन्दर से पृष्ठ की ओर आने लगते हैं। 

जब ये अणु पृष्ठ के समीप पहुँचते हैं, तो उन्हें पृष्ठ के ठीक नीचे वाले अणुओं के आकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है।

 यह कार्य पृष्ठ पर आये हुए अणुओं में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है ।

इसके अतिरिक्त पृष्ठीय क्षेत्रफल के बढ़ने से उसका शीतलन (cooling) होता है ।

 इसका कारण यह है कि जब अणु द्रव के पृष्ठ पर आते हैं तो नीचे वाले अणुओं के आकर्षण के कारण इनकी गति मन्दित हो जाती है जिससे अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा कम हो जाती है, फलतः पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ाने की क्रिया में यह ठण्डा हो जाता है। 

अतएव बाहर से कुछ ऊष्मा पृष्ठ में आकर इसे पुनः प्रारम्भिक ताप पर ले आती है। इस प्रकार पृष्ठ को कुछ ऊर्जा बाहर से भी प्राप्त हो जाती है।

 इससे स्पष्ट है कि द्रव के पृष्ठ में स्थित अणुओं में उनकी स्थिति के कारण कुछ अतिरिक्त (additional) ऊर्जा होती है।

 द्रव-पृष्ठ के एकांक क्षेत्रफल की अतिरिक्त ऊर्जा को पृष्ठ ऊर्जा (surface energy) कहते हैं ।

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