सम्प्रभुता राज्य की पूर्णता है। यह कथन- जीन बोदां (Jeen Bodan) का है।
फ्रांसीसी विद्वान जीन बोदां सर्वप्रथम 'सम्प्रभुता' शब्द का प्रयोग किया।
लॉस्की के अनुसार— राजनीति शास्त्र के लिए स्थायी हित की बात होगी। यदि संप्रभुता के सिद्धांत को सदा के लिए त्याग दिया जाए।" राज्य के लिए चार अनिवार्य तत्व होते हैं—
(i) भू-भाग
(ii) जनसंख्या
(iii) सरकार एवं
(iv) सम्प्रभुता।
जीन बोंदा ने अपनी पुस्तक Six book concerning republic में 'संप्रभुता' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया।
संप्रभुता/प्रभुसत्ता का तात्पर्य है कि राज्य अर्थात् सरकार के पास अपने भू-भाग और जनसंख्या की सीमाओं के भीतर कोई भी निर्णय करने की पूरी शक्ति होनी चाहिए बिना किसी बाह्य दबाव का।
विलोबी के अनुसार— "संप्रभुता राज्य की सर्वोपरि इच्छा होती है ।