कोई भी महान लेखक अपनी लेखनी की प्रशंसा स्वयं नहीं करता। उसकी रचनाओं का मूल्यांकन अन्य आलोचक ही करते हैं। यहाँ लेखक शिवपूजन सहाय ने भी अपनी सहृदयता का परिचय देते हुए स्वयं को अल्पज्ञ कहा है। लेखक कहता है कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा उसमें नहीं है।
रचनाकार सामाजिक मूल्य और अपने मूल्य में समन्वय स्थापित करके एक नया आयाम प्रस्तुत करता है। उसका वह स्वरूप जीवन के आस-पास की घटनाओं पर आधारित होता है। वह सामाजिक घटनाओं की समीक्षा करके उसकी समस्याओं को अपनी रचना में स्थान देता है। वह सामाजिक विद्रूपताओं को उजागर कर आनेवाली पीढ़ी को यह संदेश देता है कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ पुनः घटित नहीं हो। यद्यपि 'कहानी का प्लॉट' सामाजिक बुराइयों के प्रति सचेत करनेवाली एक श्रेष्ठ कहानी है, तथापि लेखक का कथन है कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा उसमें नहीं है।