स्वामी विवेकानंद के जीवन से मुझे धार्मिक कम अध्यात्मिक ज्यादा बना दिया उन्होंने ही सबसे पहले भारत से बाहर जाकर हिंदू धर्म की व्याख्या की।
वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे और सबसे बड़ी चीज यह थी कि वह किसी भी कर्मकांड या मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते थे और अपने योग के बल पर ही दिव्य दृष्टि प्राप्त की थी।