चंपारण की सफलता के बाद गांधीजी का अगला प्रयोग वर्ष 1918 में अहमदाबाद की एक कॉटन टेक्सटाइल मिल में मिल मालिक और मजदूरों (Labours) के बीच बोनस बढ़ाने को लेकर चल रहे विवाद में हस्तक्षेप करना था।
यह विवाद प्लेग बोनस को लेकर था। प्लेग का प्रकोप खत्म होने के बाद मालिक इसे समाप्त करना चाहते थे। जबकि मजदूर इसे बरकरार रखने की मांग कर रहे थे।
उत्पादन लागत, मुनाफा और मजदूरों के जीवन-निर्वाह खर्च का गहराई से अध्ययन करने के बाद गांधीजी ने घोषणा की मजदूरों को 35% बोनस मिलना चाहिए। मिल मालिकों द्वारा गठित ट्रिब्यूनल ने इनकी बात मान ली।