राजकुमार शुक्ल (Rajkumar Shukla) ने यूरोपियन नील बागान मालिकों द्वारा किसानों के शोषण की तरफ गांधीजी का ध्यान आकर्षित किया।
शुक्ल ने वर्ष 1916 में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन के दौरान गांधीजी से भेंट कर उन्हें चंपारण के किसानों के शोषण की कहानी सुनाई एवं गांधीजी को चंपारण आने के लिए आमंत्रित किया।