एक खाद्य श्रृंखला में उत्पादक (Producer) की आबादी सबसे अधिक होती है।
खाद्य श्रृंखला (Food Chain): पारिस्थितिकी तंत्र में प्रत्येक पोषण स्तर के जीवधारी भोजन के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते है। यह निर्भरता जब क्रमिक रूप में आगे बढ़ती हैं तो खाद्य श्रृंखला का निर्माण करती है।
अथवा,
उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटनकर्ता आपस में मिलकर खाद्य श्रृंखला का निर्माण करते हैं।
उत्पादक हरे पौधे होते हैं, जो सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा अपने भोजन का निर्माण करते हैं जबकि उपभोक्ता भोजन के लिए इन पौधों पर निर्भर रहते हैं।
उत्पादक के अंतर्गत हरे पेड़, पौधे. घास, झाड़ियाँ आदि आते हैं। ये प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन बनाते हैं।
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होती है।
उपभोक्ता के अंतर्गत सभी जीव-जंतु आते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं —
a) प्राथमिक उपभोक्ता : गाय, भैंस, बकरी, गधा, हाथी आदि।
b) द्वितीयक उपभोक्ता : भेड़िया, लोमड़ी, मोर, कीड़े-मकोड़े आदि।
c) तृतीय उपभोक्ता : बाघ, शेर, चीता आदि।
मानव प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों उपभोक्ता के अंतर्गत आते हैं।