1905 में बंगाल के विभाजन का आदेश लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon) ने दिया था।
लॉर्ड कर्जन ने 19 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा की थी, लेकिन बंगाल का विधिवत रूप से विभाजन 16 अक्टूबर 1905 को किया गया था।
लॉर्ड कर्जन का मानना था कि उसने बंगाल का विभाजन प्रशासनिक सुविधा (Administrative Facility) को ध्यान में रखते हुए किया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना था कि उसने बंगाल का विभाजन साम्प्रदायिकता (Communalism) को ध्यान में रखते हुए किया।
लॉर्ड कर्जन ने 1904 ई० में विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया था।
बंगाल विभाजन का कारण सरकारी रिपोर्ट में प्रशासनिक कारणों को बताया गया। बंगाल विभाजन के विरूद्ध में स्वदेशी आंदोलन प्रारंभ हुआ।
स्वदेशी और बहिष्कार का विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार ने संजीवनी समाचार-पत्र के माध्यम से दिया था।