बीजक (Bijak) में कबीर की वाणी का संकलन है।
Note :-
कबीर का जन्म वाराणसी में एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था।
कबीर की शादी लोई से हुई, उनके दो बच्चे हुए और उनकी जिंदगी आम गृहस्थ जैसी ही थी । उन्होंने राम, रहीम, हजरत, अल्लाह आदि को एक ही ईश्वर के अनेक रूप माने। निराकार ब्रह्म की एकेश्वरवाद में आस्था व्यक्त की एवं उपासना को महत्व दिया।
निर्गुण भक्ति धारा से जुड़े कबीर ऐसे प्रथम भक्त थे, जिन्होंने संत होने के बाद भी पूर्णतः गृहस्थ जीवन का निर्वाह किया।
कबीर के उपदेश सबद, आदि ग्रंथ में संगृहीत हैं। बीजक में तीन भाग हैं — रमैनी, सबद और साखी। उनकी भाषा को सधुक्कड़ी भाषा भी कहा गया है। कबीर की मृत्यु मगहर में हुई। वे सुल्तान सिंकदर लोदी के समकालीन थे।