जब बच्चा 'क' लिखता है तब वह चौखटे यानी कोष्ठक में पूर्ण रूप से नहीं अँटता।
बच्चे की चंचलता, अल्हड़ता और अबोधता इसमें बाधक बनती है।
वह जेब 'क' लिखता है तब कोठे से उसका अंग बाहर तक निकल जाता है।
इसी पर कवयित्री ने लिखा है कि चौखटे में उसका 'क' नहीं अँटता। इसमें सूक्ष्म मनोविज्ञान का भी चित्रण है ।