वल्लि अम्माल का चरित्र-चित्रण करें। Valliammal ka Charitra chitran Karen.
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वल्लि अम्माल का चरित्र-चित्रण करें। Valliammal ka Charitra chitran Karen.

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वल्लि अम्माल 'नगर' शीर्षक कहानी का केन्द्रीय चरित्र है। वह एक विधवा नारी है जो बीमार बेटी का इलाज कराने के लिए गाँव से नगर ले आती है। वह पढ़ी-लिखी नहीं है। 

अस्पताल में उसकी बेटी भर्ती नहीं हो पाती है। बीमार बेटी से चिन्तित वल्लि अम्माल अंधविश्वास में डूब जाती है। उसे लगता है कि बेटी को केवल बुखार है।

उसकी आस्था डॉक्टरी में नहीं झाड़-फूंक में है। बेटी को ठीक होने के लिए भगवान से मन्नतें माँगने लगती है।

उसे विश्वास है कि ओझा से झाड़-फूँक करवाने पर उसकी बेटी ठीक हो जाएगी।

अशिक्षा अंधविश्वास को बढ़ावा देती है। यहाँ वल्लि अम्माल के व्यवहार से यह बात सिद्ध हो जाती है।

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