'लक्ष्मी ढहते विश्वास' कहानी की प्रमुख पात्र है। उसका पति (लक्ष्मण)। कलकत्ता से से लक्ष्मी (आज का कोलकाता) में नौकरी करता है।
पति द्वारा प्राप्त राशि से उसका घर गृहस्थी नहीं चलता है तो वह तहसीलदार साहब के घर का कामकर किसी तरह जीवनयापन कर लेती है।
पूर्वजों के द्वारा छोड़ा गया एक बीघा खेत है। किसी तरह लक्ष्मी ने उसमें खेती करवाई है।
वर्षा नहीं होने अंकुर जल गए तो कहीं-कहीं धान सूख गए ।
एकतरफ सूखा तो दूसरी तरफ लगातार वर्षा का मन काँप गया है। उस बाढ़ का भयावह दृश्य नजर आने लगता है।