लोकतंत्र (Democracy) जनता के प्रति उत्तरदायी और जनसमस्याओं के प्रति संवेदनशील शासन है। यह आर्थिक विषमता की जगह सामाजिक न्याय, शोषण से मुक्त एक सुखी, गरिमापूर्ण और अभावहीन जीवन को अपना लक्ष्य मानता है।
आर्थिक संवृद्धि और चहुँमुखी विकास लोकतंत्र का लक्ष्य है। परंतु, आर्थिक संवृद्धि और विकास को लोकतंत्र नैतिक दृष्टि से भी देखता है।
केवल कुल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product) और प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि को लोकतंत्र आर्थिक संवृद्धि और विकास नहीं मानता है, बल्कि एक न्यायपूर्ण सामाजिक-आर्थिक जीवन, एक गरिमापूर्ण जीवन की स्थिति प्रदान करना इसका लक्ष्य है।
इसलिए शोषण से मुक्ति, अधिकतम रोजगार का सृजन, अवसर की समानता, उत्पादन में वृद्धि, संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण, पूँजी के केंद्रीकरण को रोकना, आर्थिक समानता, राजनीतिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक सामंजस्य लोकतंत्र के उद्देश्य हैं।
समावेशी विकास (Samaveshi Vikas) को लोकतंत्र ने अपने विकास का सिद्धांत बनाया है।
अतः, गरिमापूर्ण आर्थिक संवृद्धि (Economic Growth) और समावेशी विकास की दिशा में लोकतंत्र तेजी से प्रगति कर रहा है।