राज्यकीय अव्यवस्था, जनसाधारण की शोचनीय स्थिति एवं शिक्षा तथा राष्ट्रीय भावना के अभाव, अंधविश्वास के कारण यूरोप में मध्यकाल को अंधकार का युग कहा जाता है।
मध्यकाल में यूरोप में कोई केन्द्रीय शक्तिशाली सत्ता नहीं थी।
सम्पूर्ण वातावरण अशांत एवं अस्थिर था। बैरन और सामंत लोगों की निरंकुशता के कारण जनसाधारण का जीवन दुःखमय था ।
शिक्षा-दीक्षा की कोई ठीक व्यवस्था नहीं थी। राजनीतिक कार्यों में पोप के हस्तक्षेप के कारण राष्ट्रीय भावना पनप नहीं पाई थी।
धर्म का स्वरूप उदार एवं मानवीय नहीं था । पृथ्वी के बारे में ज्ञान अत्यल्प एवं अंधविश्वास से युक्त था।
अतः मध्यकाल को अंधकार का युग कहना उचित प्रतीत होता है।