दया करुणा में अंतर स्पष्ट करे? Daya Karuna Main Antar Spasht Karen?
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दया करुणा में अंतर स्पष्ट करे? Daya Karuna Main Antar Spasht Karen?

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दया एक विशिष्ट भाव है जो किसी विशिष्ट प्राणी या व्यक्ति के प्रति उत्पन्न होती है, जैसे विशेष परिस्थिति में सड़क पर किसी दुर्घटना ग्रस्त जीव को देखकर दया का भाव आना।

इसके विपरीत करुणा विशिष्ट के प्रति ही नहीं सामान के प्रति भी हो सकती है। बुद्ध ने करुणा को नैतिकता का मूल आधार माना है और वह करुणा सामान्य के प्रति ही है।

दया में यह निहित तो होता है कि दया का पात्र खुद उबरने में समर्थ नहीं है जबकि दया करने वाला सामर्थ्य हो सकता है और नहीं भी।

उदाहरण के लिए राम श्याम से अधिक ताकतवर है और उसे मार रहा है और श्याम उससे दया की भीख मांगे तो राम समर्थ है दूसरी ओर यदि राम की दुर्घटना किसी बात से हो जाती है और चोट ऐसी है कि कोई भी डॉक्टर उसे नहीं बचा सकता तो ऐसे समय डॉक्टर या कोई भी व्यक्ति दया का भाव रखेगा तो भी असमर्थ ही होगा इसके विपरीत करुणा के लिए यह जरूरी नहीं है कि पीड़ित व्यक्ति अपनी स्थिति से बाहर निकलने में अक्षम हो।

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