बातचीत जो सर्जना और विश्लेषण को प्रोत्साहित करती हो, तस्वीरों के जरिए अच्छी तरह की जा सकती है। तस्वीरें कैसी भी हो सकती हैं। अखबारों और पत्रिकाओं के विज्ञापनों या खबरों के साथ छपे चित्र, कलेण्डरों, टिकटों, लेबलों और पोस्टरों पर छपे चित्र। ये सभी काम में लाये जा सकते हैं। अध्यापक साल दर साल इस्तेमाल के लिए तस्वीरों का एक संग्रह बना सकता है।स्कूल में यदि कुछ बाल साहित्य है भी तो उसको पढ़ने हेतु बच्चों को प्रोत्साहित करना।
अध्यापक को चाहिए कि किताबों के देखरेख के काम में बच्चों को शामिल करें और उन्हें इसकी ट्रेनिंग दें कि किताब को कैसे उठाना है, रखना है, पन्ना कैसे पलटना है। ऐसी छोटी बातों को ध्यानपूर्वक बच्चों को ट्रेनिंग देकर सिखाई जा सकती हैं। इन छोटी-छोटी चीजों से आगे जाकर बच्चों में किताबों के प्रति आदर, सिखाने की प्रवृत्ति और चीजों को सहेज कर रखने की प्रवृत्ति का विकास होगा।
इसके अतिरिक्त बच्चों के बीच बैठकर बगैर किसी तैयारी के बिल्कुल अनौपचारिक ढंग से किसी तस्वीर के बारे में बातचीत करना भी उपयोगी हो सकता है। इस प्रकार के कार्यों से बातचीत सर्जना एवं विश्लेषण को प्रोत्साहित करते हैं ।