सूचना का एक बड़ा भण्डार सरकारी आंकड़ों के रूप में संग्रहित है।
उदाहरण भूमिगत जल की गहराई संबंधी/तालिका यद्यपि इस तरह की सूचना गलत, अपूर्ण एवं पुरानी होती है ।
यह अफसोस की बात है जनता की पहुँच से बहुत दूर होती है।
लेकिन भूमिगत जलस्तर में निरंतर हास वास्तव में एक बहुत बड़ा सवाल है।
स्थानीय तौर पर इस प्रकार की सूचनाएँ तुरंत ही खुले हुए कुँओं के प्रेक्षण के साथ उपलब्ध हो सकता है।
विविध विषयों पर भी सूचनाएँ एकत्रित की जा सकती हैं। जो भौतिक, रासायनिक, जीव विज्ञान पैमाने से लेकर सामाजिक और कानूनी समस्याओं तक हो । इनका संबंध धरती, खनिज पदार्थ, जल, प्राकृतिक व अर्धप्राकृतिक व मानव निर्मित आवास और जैव वैज्ञानिक समुदायों तक ही हो सकता है।
इनका संबंध गतिविधियों से भी हो सकता है।
उदाहरण के तौर पर कर्नाटक के उत्तर में कन्नड़ जिले के समुद्री किनारे पर भूमिगत जल के प्रयोग पर ध्यान दें। इस क्षेत्र के किसानों द्वारा परम्परागत पद्धति से उगाई गई फसलों में चावल, पान और सुपारी (शुरू में इसकी खेती) अमीर उद्यान मालिकों द्वारा की जाती थी। आज से पचास वर्ष पहले जब यहाँ बिजली के पम्प नहीं थे तब पानी का स्तर तगभग 5 मीटर की गहराई तक या तथा छोटे किसान बाँध के द्वारा सिंचाई करते थे।