जब किसी आवेशित चालक को किसी अनावेशित विद्युतरोधी चालक के पास लाया जाता है तो अनावेशित चालक के पास वाले सिरे पर विजातीय तथा दूरवर्ती सिरे पर सजातीय आवेश उत्पन्न हो जाता है। इस क्रिया को स्थिर विद्युत प्रेरण(Electrostatic Induction) कहते हैं।
चित्र 4.01 (a) में A धनावेशित चालक तथा BC एक अनावेशित विद्युतरोधी पदार्थ की छड़ है। जब चालक A को छड़ BC के सिरे B के पास लाया जाता है तो सिरे B पर ऋणावेश तथा सिरे C पर धनावेश उत्पन्न हो जाता है। अब यदि सिरे C को पृथ्वीकृत कर दिया जाये तो सिरे C पर उत्पन्न धनावेश पृथ्वी में चला जाता है किन्तु सिरे B पर उत्पन्न आवेश चालक A के आवेश के आकर्षण के कारण उसी सिरे पर बद्ध रहता है। चालक A को हटा लेने पर सिरे B पर बद्ध ऋणावेश पूरी छड़ में फैल जाता है। फलस्वरूप छड़ BC ऋणावेशित हो जाती है।
किन्तु यदि स्थिति a में चालक A को हटा लिया जाये तो B और C सिरे पर उत्पन्न आवेश एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं, फलस्वरूप छड़ BC पुन: अनावेशित हो जाती है।
छड BC के सिरे B और C पर उत्पन्न आवेशों को प्रेरित आवेश तथा चालक A के आवेश को प्रेरक आवेश कहते हैं। इस प्रकार स्थिर विद्युत प्रेरण की क्रिया में चालक के जिस सिरे का प्रेरित आवेश आकर्षण के कारण बँधा रहता है उसे बद्ध आवेश तथा जिस सिरे का प्रेरित आवेश पृथ्वी में या अन्य चालकों में जाने के लिए स्वतन्त्र होता है, उसे मुक्त आवेश कहते हैं। स्पष्ट है कि चालक पर बद्ध और मुक्त आवेश विजातीय होते हैं।
व्याख्या– स्थिर विद्युत प्रेरण की व्याख्या इलेक्ट्रॉन सिद्धान्त के आधार पर की जा सकती है। जब अनावेशित चालक A को छड़ BC के सिरे B के पास लाया जाता है तो छड़ BC के मुक्त इलेक्ट्रॉन चालक A के धनावेश से आकर्षित होते हैं। फलस्वरूप सिरे B पर इलेक्ट्रॉनों की अधिकता तथा सिरे C पर इलेक्ट्रॉनों की कमी हो जाती है। अतः सिरा B ऋणावेशित तथा सिरा C धनावेशित है।
जब चालक A को हटा लिया जाता है तो इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने वाला कोई आवेश नहीं रहता। अतः इलेक्ट्रॉन छड़ BC में पुनः पूर्ववत् गति करने लगते हैं। फलस्वरूप छड़ BC पुनः अनावेशित हो जाती है। चित्र 4.01 (b) की भाँति जब सिरे C को पृथ्वीकृत कर दिया जाता है तो पृथ्वी से इलेक्ट्रॉन सिरे C की ओर चलने लगते हैं।