(a) आवेश के क्वॉटित होने का अर्थ है कि किसी वस्तु पर आवेश इलेक्ट्रॉन अथवा प्रोटॉन के आवेश ( अर्थात् मूल आवेश ) का कोई पूर्णांक होता है दूसरे शब्दों में, पिण्ड पर आवेश सतत् रूप में नहीं बदलता अपितु वह आवेश के क्वांटम या बंडल के रूप में पृथक् परिवर्तित होता है। गणितीय रूप में, किसी पिण्ड का आवेश
q = ° ne
के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है, जहाँ " = एक पूर्णांक तथा e = एक इलेक्ट्रॉन या एक प्रोटॉन पर आवेश है। e = 1.6 × 10-19 C। स्वतन्त्र अवस्था में मूल आवेश के अंश को कभी नहीं देखा गया। (b) व्यावहारिक रूप में स्थूल स्तर पर आवेशित पिण्ड पर आवेश बड़ा होता है जबकि एक इलेक्ट्रॉन पर बहुत सूक्ष्म आवेश होता है।
जब पिण्ड को इलेक्ट्रॉन दिये जाते हैं या उससे इलेक्ट्रॉन निकाले जाते हैं, तो आवेश में इतना कम परिवर्तन होता है कि आवेश सतत् रूप में परिवर्तित होता प्रतीत होता है।
अतः स्थूल स्तर पर जबकि आवेश की मात्रा अधिक होती है, आवेश के क्वांटमीकरण की उपेक्षा की जा सकती है।